March 18, 2024

होली है भाई होली है!!!(उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की होली के अवसर पर काव्य गोष्ठी/निशस्त )

होली के अवसर पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई की शानदार कवि गोष्ठी/निशस्त

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मन फाग गाने को आतुर है,रंगों की धनक सबको आकर्षित कर रही है।गुजियों और ऐसे ही तमाम पकवानों की सुगंध आनी प्रारंभ हो गई है।आशय यह है कि होली का ख़ुमार सर चढ़ने लगा है।होली की इस बढ़ती ख़ुमारी के चलते कल दिनांक 17 मार्च,2024 को रामपुर के होटल कॉफी कॉर्नर में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई द्वारा एक शानदार काव्य गोष्ठी/निशस्त का आयोजन किया गया।


गोष्ठी के अध्यक्ष(स्थानीय सभा के संरक्षक)अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर ताहिर फ़राज़ साहब ने तग़ज़्ज़ुल से भरपूर कलाम पेश करते हुए कहा :

     उतरता है  जो आँखों  से  तुम्हारे  ग़म का पैराहन,

      सहर को गुल पहनते हैँ,वही शबनम का पैराहन।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शायर नईम नज्मी जी ने अपनी फ़िक्र के गुलशन के नायाब फूल/शेर पेश करते हुए कहा :

   जब भी हम फ़िक्र के गुलज़ार में आ जाते हैं,

   लफ़्ज़ महके  हुए अशआर  में आ  जाते  हैं।      

 

साहित्य सभा के संयोजक सुरेंद्र अश्क रामपुरी जी ने आज भी हरियाली को बचाए हुए गांवों का सुंदर चित्र अपनी रचना में प्रस्तुत  किया--

तुम्हारे शहर में हरसू हैं बेशक कोठियां ऊंची,

महकता फूलों  से आंगन  हमारे  गांव में है।

ये माना  है सुकूं  इन ए सी औं  में कूलरों में,

मगर सुख चैन तो उन पीपलों की छांव में है।


कार्यक्रम में सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने अपने इस दोहे के माध्यम से होली खेलने एक का शानदार  चित्र प्रस्तुत किया --

         कर में पिचकारी लिए, पीकर थोड़ी भंग।

         देवर  जी  डारन चले, भौजाई  पर  रंग।।


वरिष्ठ शायर डॉक्टर जावेद नसीमी साहब के इस मार्मिक शेर ने सभी के दिलों को छू लिया 

   हाय!वो लोग जो तस्कीने-दिलो-जां थे कभी,

   क्या बिगड़ जाता जो वो लोग भी जीते रहते।

सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष फ़ैसल मुमताज़ ने अपने सुख़न के रिवायती अंदाज़ से रूबरू कराते हुए कहा --

  मस्त पवन के झोके में जो लहरा दे वो आंचल को,

   पानी-पानी  कर डालेगा आवारा से  बादल को।

शायर अशफ़ाक़ ज़ैदी ने अपने तरन्नुम का कमाल दिखाते हुए पढ़ा --

   दीवानगी-ए-इश्क़ बड़ा काम कर गई,

   कच्चे घड़े पे बैठ के दरिया उतर गई।

कवि/लेखक सुधाकर सिंह जी ने इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर तरह से आम जन के ही ठगे जाने की व्यथा कुछ इस तरह अभिव्यक्त की--

कोई हारा कहीं अगर तो,              

समझो जनता ही हारी है।                  

नेता कब नेता से हारा,                        

दल भी दल से नहीं हारते।

सभा के सह सचिव सुमित सिंह मीत का यह आशावादी शेर  बहुत पसंद किया गया --

      नए बहुत से दरवाज़े खुल जाते हैं,

      बंद अगर कोई दरवाज़ा होता है।

कोषाध्यक्ष अनमोल रागिनी चुनमुन ने अपनी सामयिक काव्य प्रस्तुति में कहा --

यत्र तत्र सर्वत्र हैं,ख़ुशियाँ अपरम्पार।

बसंत लेकर आ गया, होली का त्योहार।।

सभा के मंत्री भाई राजवीर सिंह राज़ ने गोष्ठी का संचालन करते हुए ज़ुल्म के पैरोकारों को लेकर तरन्नुम में अपना कलाम पेश करते हुए कहा --

      क्यों सुकूं की वो आरज़ू करते,

       जिनके ख़ंजर लहू-लहू करते।

कार्यक्रम में संरक्षक ताहिर फ़राज़ साहब ने नए रचनाकारों को उच्चारण तथा काव्य में शिल्प और कलात्मकता को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की अदबी सरगर्मियां जारी रखने से नए रचनाकारों में मश्क़ करने का जज़्बा बना रहता है।


सभा के स्थानीय अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक द्वारा सभी सदस्यों से आपसी सहयोग तथा समन्वय द्वारा नियमित अंतराल पर संस्था की गोष्ठियों के आयोजन को सक्रियता से जारी रखने का अनुरोध किया गया।

उत्साह और उमंग के बीच सबने एक दूसरे को आपसी सौहार्द के प्रतीक रंगोत्सव होली की शुभकामनाएं दीं।अंत में सभा के संयोजक सुरेंद्र अश्क रामपुरी जी द्वारा सभी का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।

 ---- ओंकार सिंह विवेक,अध्यक्ष 

उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई

(ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर)

होली है!!!होली है!!! होली है !!!🌹🌹👈👈

सम्मानित अख़बारों द्वारा कार्यक्रम की शानदार कवरेज करने के लिए हम ह्रदय से आभारी हैं 🙏🙏 👇👇



           

12 comments:

  1. Ek behatreen karykram ki sabhi ko badhai.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 मार्च 2024को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आपका, ज़रूर।

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  3. Replies
    1. मान्यवर आपको भी अवसर की अशेष शुभकामनाएं

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  4. बहुत सुंदर... होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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