February 25, 2023

पुस्तकें मिलीं ("भावों के पंख" व "जो आधा-अधूरा कह दूं तो")



मित्रो सादर प्रणाम 🌹🌹🙏🙏

हाल ही में दो वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने काव्य संग्रह मुझे भेंट किए। इनमें एक कविता-संग्रह  "भावों के पंख" झांसी निवासी श्री निहाल चंद्र शिवहरे जी ने भेंट किया तथा दूसरा काव्य-संग्रह "जो आधा-अधूरा कह दूं तो" गुरुग्राम निवासी श्री विनोद कुमार पहिलाजानी द्वारा भेंट किया गया।
काव्य सृजन एक साधना के समान होता है।उसमें साहित्यकार को पूरी तरह रमना पड़ता है।किसी रचनाकार की किताब निकलना तो और भी बड़ी बात होती है। रचनाकार को अपनी किताब छपने पर इतनी ही खुशी का अनुभव होता है जैसे घर में कोई समारोह होने पर।अक्सर देखने में आता है कि कोई रचनाकर जिस भाव से अपनी पुस्तक किसी को भेंट करता है उस भाव से बहुत कम ही लोग उसे पढ़ने और उस पर प्रतिक्रिया देने की ज़रूरत समझते हैं।
मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि भेंट की गई कृति को मनोयोग से पढ़कर उस पर समीक्षा लिखूं या कम से कम रचनाकार को एक पत्र/संदेश के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराऊं।
इसी क्रम में मैंने उल्लिखित दोनों साहित्यकारों को संदेश प्रेषित किए जो यहां साझा कर रहा हूं :

मान्यवर निहाल चंद्र शिवहरे जी को
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आपके कविता-संग्रह "भावों के पंख" को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ।आपकी रचनाओं की भाव प्रधानता ने बहुत प्रभावित किया।
मैंने अधिकांश रचनाओं में आपके अंतर्मन की गहन अनुभूतियों को शिद्दत से महसूस किया। मानव जीवन या प्रकृति का कोई ऐसा पक्ष नहीं बचा जिस पर आपकी दृष्टि न पड़ी हो।भोगे-परखे और आसपास घटित हो रहे घटनाक्रम को आपने अपनी कविताओं में जो अभिव्यक्ति दी है वह मन को उद्वेलित करती है।कविता वास्तव में वही सार्थक कही जाती है जो सीधे दिल से निकलकर श्रोता/पाठक के मर्म को छूकर आह या वाह करने के लिए बाध्य कर दे।प्यार और शृंगार पर तो कवियों द्वारा बहुत कुछ लिखा जा चुका है।आज  क़लमकार को सामाजिक सरोकारों पर लेखनी चलाने की आवश्यकता है। मुझे ख़ुशी है कि आपने इस दायित्व को समझते हुए अपने भावना प्रधान काव्य में सामाजिक सरोकार, प्रकृति/पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को प्रभावशाली ढंग से उठाया है।आपने गद्यात्मक लेखन अधिक किया है जिसकी छाप इस काव्य कृति में भी झलकती है।
आशा है भविष्य में आपकी ओर भी उत्कृष्ट काव्य रचनाएँ/पुस्तकें हमें देखने को मिलेंगी।मैं आपके स्वस्थ्य और सुखी समृद्ध जीवन की मंगल कामना करता हूं ताकि आप यों ही जीवन पर्यंत साहित्य सृजन के माध्यम से समाज की सेवा करते रहें।

मान्यवर विनोद कुमार पहिला जानी जी को
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आपके कविता संग्रह "जो आधा-अधूरा कह दूं तो" को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ।आपकी रचनाओं की भाव प्रधानता रचनाओं ने प्रभावित किया। तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत रहते हुए भी कविता के प्रति अनुराग आपकी संवेदनशीलता का द्योतक है।
मैंने अधिकांश रचनाओं में आपके अंतर्मन की प्रेम-अनुभूतियों को शिद्दत से महसूस किया।कविता वास्तव में वही सार्थक कही जाती है जो सीधे दिल से निकलकर श्रोता/पाठक के मर्म को छूकर आह या वाह करने के लिए बाध्य कर दे।आपकी अभिव्यक्ति में मुझे वह सामर्थ्य दिखाई देती है।प्रेम/प्यार के बिना जीवन की कल्पना निरर्थक है।युगों-युगों से कवि प्रेम को काव्य-रूप में जीवंत अभिव्यक्ति प्रदान करते आ रहे हैं। आपने भी अपने भाव प्रधान काव्य में प्रेम की विविध रूपों में सुंदर अभिव्यक्ति की है जो पाठक का ध्यान खींचती है।
आशा है भविष्य में आपकी ओर भी उत्कृष्ट काव्य रचनाएँ/पुस्तकें हमें देखने को मिलेंगी।
मैं आपके स्वस्थ्य और समृद्ध जीवन की मंगल कामना करता हूं।

सादर
ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/ ब्लॉगर
रामपुर (उत्तर प्रदेश)






13 comments:

  1. Sundar sandesh aur achchhey vichar

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    1. सीताराम
      बहुत सुंदर पुस्तक परिचय

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    2. अतिशय आभार आदरणीय।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (26-02-2023) को   "फिर से नवल निखार भरो"  (चर्चा-अंक 4643)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. This comment has been removed by a blog administrator.

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  4. अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई दोनों पुस्तकों के लेखक एवं समीक्षक जी को।
    विस्तृत पुस्तक परिचय सुंदर सहज अपनत्व से भरा।

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  5. बहुत ही सुन्दर सराहनीय समीक्षा
    अनंत शुभकामनाएं

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  6. अनंत शुभकामनाएं।
    बहुत सुंदर समीक्षा।

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