November 9, 2022

यादों के झरोखों से (कड़ी - ५)

मित्रो नमस्कार 🙏🙏🌹🌹


आज अचानक फोन की मैमरी में छुपे गूगल ने कुछ पुराने फोटो दिखाए जिसमें ताजमहल के सम्मुख ली गई श्रीमती जी और मेरी एक तस्वीर भी सामने आ गई।उन मधुर यादों को लेकर कुछ लिखने का मन हुआ जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूं। प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराएं।

मैंने अपने बैंक से २६ मार्च,२०१९ को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ग्रहण थी।लगभग दो महीने तो पेंशन आदि के काग़ज़ात पूरा करने में लग गए। जब कुछ सुकून हुआ तो सोचा की अब दफ़्तर की भागदौड़ और तनाव आदि से मुक्ति मिल चुकी है अत: कहीं घूमने-फिरने का प्रोग्राम बनाया जाए। यों तो झुलसाने वाली गर्मी का जून का महीना बस पहाड़ों पर घूमने के लिए ही उपयुक्त होता है। परंतु पहाड़ों पर तो हम बहुत घूम चुके थे तो सोचा मथुरा,आगरा और फतेहपुर सीकरी जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के दर्शनीय स्थलों का रुख़ किया जाए। कार्यक्रम बनाने और  प्रोत्साहित करने में हमारे बेटे का बहुत बड़ा योगदान रहा।उसकी परीक्षाएं समाप्त हुई थीं सो वह भी घूमने को लेकर उत्साहित था। दोनों बेटियां तो इस ट्रिप में साथ नहीं जा पाईं थीं क्योंकि वे अपने-अपने 
काम के सिलसिले में गुड़गांव में प्रवास कर रही थीं।
इस ट्रिप के पहले चरण में हम लोगों ने मथुरा,वृंदावन और नंदगांव, गोवर्धन आदि का भ्रमण किया। इन सभी स्थलों पर कृष्ण की लीलाओं की सुवास सहज ही अनुभव की जा सकती है। जैसे-जैसे हम इन स्थानों का भ्रमण करते गए श्री कृष्ण जी का किताबों में पढ़ा हुआ सारा जीवन चरित्र हमारे सामने घूमता रहा।इन स्थानों पर निर्मित भव्य मंदिरों और यहां की धार्मिक आस्था ने बहुत प्रभावित किया। छोरी, छोरा और गैय्यन जैसे ब्रज भाषा के शब्द स्थानीय निवासियों के मुख से सुनकर ब्रज की बोली की मिठास से मन को एक ख़ास तरह की अनुभूति हुई। वृंदावन के प्रेम मंदिर को देखकर तो आंखें चौंधिया गईं।बहुत ही भव्य और सुंदर मंदिर है। आस्था और विश्वास के साथ ब्रज क्षेत्र के भ्रमण से मन को जो आनंद की अनुभूति हुई उसे शब्दों में बयान करना संभव नहीं है।

        (निधिवन में  पत्नी रेखा सैनी,पुत्र आदित्य सैनी तथा                गाइड के साथ मैं)
मथुरा, वृंदावन के सभी दर्शनीय स्थलों का विस्तार से वर्णन और चित्र आदि प्रस्तुत करना तो इस पोस्ट में संभव नहीं है। मेरा अनुरोध है कि असली आनंद उठाने के लिए आप इन धार्मिक स्थलों का स्वयं भ्रमण अवश्य करें। हां, निधिवन के बारे में थोड़ा अवश्य बताना चाहूंगा।भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण रात में गोपियों के साथ रासलीला करने के लिए यहां आज भी आते हैं।इस जगह की एक और दिलचस्प बात यह है कि जहां पेड़ की शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती हैं, वही यहां वे नीचे की ओर बढ़ती हैं। यहां के पेड़ छोटे हैं लेकिन एकदूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। साथ ही यहां की तुलसी जोड़ियों में उगती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये पौधे गोपियों में बदल जाते हैं और रात के समय दिव्य नृत्य में शामिल हो जाते हैं।इस विषय पर अधिक तर्क करना यों भी उचित नहीं है क्योंकि यह आस्था से जुड़ा विषय है।
ब्रज भूमि के दर्शन के बाद हमारा अगला पड़ाव आगरा था। आगरा का क़िला और इसके बाज़ार भी खूब घूमे और  घर के लिए पंछी पेठा भी खरीदा। पंछी पेठा तो आगरा का ऐसा ब्रांड बन गया है कि जिसको खरीदे बिना आगरा की ट्रिप पूरी ही नहीं होती।मैं तो पहले भी ताजमहल देख चुका था परंतु पत्नी और बेटा पहली बार यहां आए थे अत: उन्हें ताजमहल देखने की बहुत उत्सुकता थी। एक गाइड को लेकर हम लोग ताजमहल में प्रविष्ट हुए।बच्चों ने इसके बारे में जैसा सुना और पढ़ा था उससे कहीं अधिक भव्य और सुंदर पाया।लगभग दो घंटे ताजमहल में घूमते हुए हम लोग उसकी खूबसूरती को निहारते रहे। विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के बारे में और अधिक क्या बताया जाए।इसके इतिहास,गौरव और महत्व को आप सब लोग भली भांति जानते हैं। वहां फोटोग्राफर से पत्नी के साथ जो तस्वीर खिंचवाई वो नीचे प्रस्तुत है।
बच्चों को हम दोनों की यह तस्वीर इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसे फ्रेम करवाकर ड्राइंग रूम में लगवा रखा है।

यात्रा के अंतिम चरण मैं हम लोग आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक शहर फतेहपुर सीकरी पहुंचे। इसका निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था। सन 1573 ईसवी में यहीं से अकबर ने गुजरात को फतह करने के लिए प्रस्थान किया था।  गुजरात पर विजय पाकर लौटते समय उस ने सीकरी का नाम ‘फतेहपुर’ (विजय नगरी) रख दिया था। 
अकबर द्वारा बनवाई गई भव्य ऐतिहासिक इमारतें यहां का प्रमुख आकर्षण हैं।यहां के बुलंद दरवाज़े को इसके नाम के अनुरूप दुनिया का सबसे बड़ा प्रवेश द्वार कहा जाता है।

                      (बुलंद दरवाज़ा)

   (फतेहपुर सीकरी महल के सामने पत्नी तथा पुत्र के साथ)

फतेहपुर सीकरी के भव्य महलों और अन्य ऐतिहासिक भवनों का विस्तार से यहां वर्णन मैं इसलिए नहीं कर रहा ताकि  वहां घूमकर आने की आपकी इच्छा बनी रहे।इतना अवश्य कहूंगा कि यदि मैं ताजमहल को छोड़ दूं तो ऐतिहासिक दृष्टि से देखने में फतेहपुर सीकरी आपको आगरा से कहीं अधिक लुभाएगा।आप एक बार अवश्य ही इस स्थल के भ्रमण का कार्यक्रम बनाएं।
ख़्वाजा मीर दर्द के इस शेर के साथ अपनी बात ख़त्म करता हूं :
         सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ,
         ज़िंदगी  गर कुछ  रही  तो  ये जवानी फिर कहाँ।
                                          --- ख़्वाजा मीर दर्द

--- ओंकार सिंह विवेक 
(ग़ज़लकार, समीक्षक, कंटेंट राइटर तथा ब्लॉगर)
          








4 comments:

  1. Bahut sundar varnan kiya hai.jane ki ichha jagrat hui hai

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    1. धन्यवाद,लिखना सफल हुआ🙏🙏

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  2. सुंदर चित्रों सहित रोचक यात्रा विवरण

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