June 2, 2022

अपनी बात : दोहों के साथ

नमस्कार मित्रो🌷🌷🙏🙏

यों तो काव्य की सभी विधाएँ भाव-अभिव्यक्ति का एक उत्तम माध्यम होती हैं।किसी एक विधा को दूसरी से कमतर नहीं कहा जा सकता।फिर भी दोहा एक ऐसी विधा है जिसमें 13 और 11 मात्राओं के क्रम में मात्र दो पंक्तियों अर्थात चार चरणों में गागर में सागर भरने जैसी मारक अभिव्यक्ति की जा सकती है।इसलिए पुराने समय से ही दोहा विधा हिंदी-काव्य  की बहुत ही लोकप्रिय विधाओं में गिनी जाती है।हम सब भलीभांति परिचित हैं कि कबीरदास और रहीम जी के दोहे कैसी पैनी और तीखी धार के साथ पढ़ने या सुनने वाले पर अपना असर छोड़ते हैं।

आज इसी लोकप्रिय विधा दोहा में आप सब के साथ कुछ भाव साझा कर रहा हूँ।आशा है भिन्न-भिन्न शब्दों को लेकर कहे गए ये दोहे आपको पसंद आएँगे और आप अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराएँगे।
सादर🌷🌷🙏🙏
विभिन्न शब्दों को लेकर 
रचे   गए    कुछ   दोहे
*****************
     --- ©️ओंकार सिंह विवेक
शीत
©️
तन  पर  लिपटे  चीथड़े, शीत लहर की मार,
निर्धन   सोचे    सर्दियाँ,  होंगी   कैसे   पार।

सूर्य

शातिर   कुहरे   ने   यहाँ, खेला  ऐसा  खेल,
पड़ी  सूर्य  को काटनी, कई दिनों तक जेल।

वर्षा

सहकर प्रतिदिन जेठ की,तन झुलसाती धूप,
सबको   ही  आषाढ़  की, वर्षा  लगे  अनूप।

मकर संक्रांति
©️
 शुद्ध  भाव  से कीजिए,भजन-साधना-दान,
 पर्व  मकर संक्रांति  का,देता  है  यह  ज्ञान।
 
फसल

नित  पाले  की  मार  से,फसल  हुई  बेकार,
हल्कू   सोचे   सेठ  का , कैसे  चुके  उधार।
                  --  ©️ओंकार सिंह विवेक
(ब्लॉगर की पॉलिसी के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित)




20 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-06-2022) को चर्चा मंच      "दो जून की रोटी"   (चर्चा अंक- 4450)  (चर्चा अंक-4395)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय।ज़रूर हाज़िर रहूँगा🙏🙏

      Delete
  2. जीवन की समग्रता के दर्शन करवाते अति सुन्दर दोहे ।

    ReplyDelete
  3. जीवन की समग्रता के दर्शन पर सुन्दर
    सृजन ।

    ReplyDelete
  4. वाह ! सच जीवन और समय कैसे एक दूसरे के पूरक हैं, परिभाषित करते दोहे ।

    ReplyDelete
  5. जीवन की सच्चाई व्यक्त करते दोहे।

    ReplyDelete
  6. वाह!!!
    एक से बढ़कर एक
    लाजवाब दोहे।

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सटीक एवं लाजवाब दोहे..
    वाह!!!

    ReplyDelete
  8. वाह
    बेहतरीन दोहे

    ReplyDelete
  9. बहुत उम्दा दोहे , आदरणीय ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार मान्यवर🙏🙏

      Delete

Featured Post

सामाजिक सरोकारों की शायरी

कवि/शायर अपने आसपास जो देखता और महसूस करता है उसे ही अपने चिंतन की उड़ान और शिल्प कौशल के माध्यम से कविता या शायरी में ढालकर प्र...