May 6, 2022

आख़िर बात दिल की है

शुभ प्रभात साथियो🙏🙏

पता नहीं कब इन सांसों का साथ छूट जाए और हमारा घर-परिवार तथा दुनिया से नाता टूट जाए।अतः अच्छा हो कि हम घर-परिवार और ख़ुद के साथ-साथ दुनिया और समाज के लिए भी कुछ ऐसा काम करते रहें जिससे हमारे इस दुनिया-ए-फ़ानी से कूच करने के बाद भी लोग हमें याद रखें।
आज सुब्ह अखबार पढ़ते हुए एक ख़बर पर नज़र पड़ी तो एक सज्जन के नेक कार्यों के बारे में जानकर मस्तक उनके प्रति श्रद्धा से झुक गया।दिल के रोगियों के लिए पेसमेकर एक ऐसा उपकरण है जो दिल की धड़कनों को नियमित बनाए रखता है परंतु अर्थाभाव में कई लोग इसे लगवा नहीं पाते हैं क्योंकि यह एक मँहगा उपकरण है।
छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई शहर की सामाजिक संस्था "मम्मा की रसोई" के संस्थापक श्री रुबिंदर बाजवा जी दान में एकत्र किए गए पेसमेकर्स केवल 5 रुपए में ऐसे ज़रूरतमंदों को उपलब्ध कराते हैं जो आर्थिक विपन्नता के चलते यह मँहगा उपकरण खरीदकर अपने बीमार दिल में नहीं लगवा सकते।श्री बाजवा साहब की संस्था ऐसे लोगों से पेसमेकर्स प्राप्त करती है जिनके परिजनों के पेसमेकर लगा हुआ था और उनकी मृत्यु हो चुकी होती है।यह संस्था अपने इस नेक कार्य की जानकारी सोशल मीडिया आदि पर भी साझा करती है ताकि ज़रूरतमंद इसका लाभ प्राप्त कर सकें।
इस संस्था और इसके प्रमुख के ऐसे नेक काम देखकर निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि दुनिया में जनसेवकों ,परोपकारियों और इंसानियत के पैरोकारों की कमीं नहीं है।
मैं आदरणीय बाजवा जी के दीर्घायु होने की कामना करता हूँ ताकि वह अपनी संस्था के माध्यम से इसी तरह ज़रूरतमंदों की ख़िदमत करते रहें।
आप सब से भी अनुरोध करना चाहूँगा की इस जानकारी को हर ज़रूरतमंद के साथ साझा करें।
          ---ओंकार सिंह विवेक
          ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर
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10 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०७-०५-२०२२ ) को
    'सूरज के तेवर कड़े'(चर्चा अंक-४४२२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हार्दिक आभार आपका🙏🙏

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  2. बढ़िया कार्य , बधाई और शुभकामनाएँ

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  3. बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
    सच है 'दुनिया में जनसेवकों ,परोपकारियों और इंसानियत के पैरोकारों की कमीं नहीं है।' बस जरुरत है उन्हें सबके सामने लाने की.

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  4. बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
    सच है 'दुनिया में जनसेवकों ,परोपकारियों और इंसानियत के पैरोकारों की कमीं नहीं है।' बस जरुरत है उन्हें सबके सामने लाने की.

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    1. आदरणीया ब्लॉग पर आने के लिए आभार आपका

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  5. बहुत सुंदर

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    1. हार्दिक आभार मान्यवर

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