May 16, 2022

जीवन की राहों को कुछ आसान करूँ

दोस्तो नमस्कार🙏🙏
कविता या शायरी कसौटी पर खरी तभी कही जा सकती है जब उसे सुन या पढ़कर श्रोता/पाठक आह!अथवा वाह! करने के लिए मजबूर हो जाए।कविता में सुनने वाले के चिंतन को जागृत करने की क्षमता होगी तभी वह सिर चढ़कर बोलेगी।इसके लिए कविता में भाव,कथ्य,तथ्य और शिल्प का बेजोड़ संगम होना चाहिए।कविता में केवल भाव हों और शिल्प तथा शब्द-संयोजन,वाक्य-विन्यास आदि की अनदेखी की गई हो तो वह अपना असर छोड़ने में इतनी कारगर नहीं होती।इसी तरह यदि केवल शिल्प के पालन के लिए उसके कलात्मक पक्ष पर ध्यान न दिया गया हो तो भी कविता सार्थक नहीं कही जा सकती।कहने का तात्पर्य यह है कि अच्छी कविता या शायरी में भाव,कला तथा शिल्पपक्ष का बेहतरीन तालमेल होना पहली शर्त है।प्रसंगवश मशहूर शायर मरहूम कृष्णबिहारी नूर साहब का एक शेर याद आ रहा है : 
             मैं तो  ग़ज़ल सुना  के  अकेला खड़ा रहा,
             सब अपने-अपने चाहने वालों में खो गए।
                                       ---कृष्णबिहारी नूर
इस शेर का सार यही है कि हम शेर/कविता/ग़ज़ल कहें तो ऐसी कहें कि लोग उसे सुनकर अपने चाहने वालों में खो जाएँ यानी मन से एकाग्र होकर कुछ सार्थक चिंतन के लिए प्रेरित हो जाएँ।
तो लीजिए इस भाव और भूमिका के साथ प्रस्तुत है मेरी नई ग़ज़ल

ग़ज़ल--ओंकार सिंह विवेक
********************************
ख़ुद को समझूँ, जग की भी पहचान करूँ,
जीवन  की  राहों  को  कुछ आसान करूँ।

मेरे   बाद   भी  देखेगा  कोई  जग  इनसे,
बेहतर  होगा, इन  आँखों  को  दान करूँ।

तिश्नालब  ही  उसके  पास  खड़ा  रहकर,
सोच  रहा   हूँ  दरिया   को   हैरान  करूँ।

जिनकी  कथनी-करनी  में  हो  फ़र्क़ सदा,
उन  लोगों  का  कैसे  कुछ  सम्मान करूँ।

हिम्मत-जोश- अक़ीदा- अज़्म-जुनूं-जज़्बा,
जीने  की  ख़ातिर  कुछ  तो सामान करूँ।

इतनी क्षमता  और  समझ   देना  भगवन,
पूरा  माँ-बापू   का    हर   अरमान  करूँ।

कोशिश  यह  रहती है, अपनी  ग़ज़लों में,
शोषित-वंचित का  दुख-दर्द  बयान करूँ।
             ---ओंकार सिंह विवेक
********************************
       (सर्वाधिकार सुरक्षित)

20 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (17-5-22) को "देश के रखवाले" (चर्चा अंक 4433) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बेहद शुक्रिया, ज़रूर उपस्थित रहूँगा

      Delete
  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (17-5-22) को "देश के रखवाले" (चर्चा अंक 4433) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार, जी ज़रूर हाज़िर होऊँगा

      Delete
  3. सकारात्मक जग कल्याण के भावों से सज्जित सार्थक ग़ज़ल।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु आभारी हूँ आपका

      Delete
  4. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (18-05-2022) को चर्चा मंच    "मौसम नैनीताल का"    (चर्चा अंक-4434)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    
    --

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आदरणीय, ज़रूर हाज़िरी होगी

      Delete
  5. बहुत अच्छी और सटीक बातें कही आपने कविता, गजल या शायरी के बारे में। यह सही है कि कविता में भाव के साथ शिल्प तथा शब्द-संयोजन,वाक्य-विन्यास पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे वह अपना असर छोड़ने में कारगर सिद्ध हों। उदाहरण के लिए आपने जो गजल प्रस्तुत की हैं, बहुत अच्छी लगी। गजल लिखना मेरे लिए तो सरल नहीं है, थोड़ी-बहुत कभी-कभार कोशिश करती हूँ लेकिन ज्यादा लिख नहीं पाती। बड़ा धैर्य और बार-बार पढ़ना-लिखना और शब्दों को जोड़ना घटाना थोड़ा बोझिल सा हो जाता है तो इस चक्कर में वह भी पूरी नहीं पाती हैं, वही छोड़ना पड़ता है, समय काफी देना होता है किसी भी अच्छी रचना को लिखने या बुनने के लिए ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप अभ्यास करती रहें,निखार आता जाएगा।

      Delete
  6. बहुत अच्छी और सटीक बातें कही आपने कविता, गजल या शायरी के बारे में। यह सही है कि कविता में भाव के साथ शिल्प तथा शब्द-संयोजन,वाक्य-विन्यास पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे वह अपना असर छोड़ने में कारगर सिद्ध हों। उदाहरण के लिए आपने जो गजल प्रस्तुत की हैं, बहुत अच्छी लगी। गजल लिखना मेरे लिए तो सरल नहीं है, थोड़ी-बहुत कभी-कभार कोशिश करती हूँ लेकिन ज्यादा लिख नहीं पाती। बड़ा धैर्य और बार-बार पढ़ना-लिखना और शब्दों को जोड़ना घटाना थोड़ा बोझिल सा हो जाता है तो इस चक्कर में वह भी पूरी नहीं पाती हैं, वही छोड़ना पड़ता है, समय काफी देना होता है किसी भी अच्छी रचना को लिखने या बुनने के लिए ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आदरणीया।आप शुरुवात करें

      Delete
  7. बहुत ही सटीक बातें आपने कहीं अपने पोस्ट के माध्यम से आदरणीय ओंकार सिंह जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया हार्दिक आभार आपका

      Delete
  8. बहुत सुंदर सराहनीय गजल ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया

      Delete
  9. सुंदर बेहतरीन जीवन पहलुओं को रखा है

    ReplyDelete
    Replies
    1. अडिग साहब हार्दिक आभार🙏🙏

      Delete
  10. वाह!कहने को मजबूर करता सृजन।
    गज़ब सर 👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. अत्यधिक आभारी हूँ आपका🙏🙏

      Delete

Featured Post

आज एक सामयिक नवगीत !

सुप्रभात आदरणीय मित्रो 🌹 🌹 🙏🙏 धीरे-धीरे सर्दी ने अपने तेवर दिखाने प्रारंभ कर दिए हैं। मौसम के अनुसार चिंतन ने उड़ान भरी तो एक नवगीत का स...