February 24, 2022

मदमाता फागुन

शुभ प्रभात मित्रो🙏🙏🌷🌷
वसंत और फागुन मास के आनंद और आकर्षण का मस्त चित्रण
कवि और साहित्यकार बहुत ही प्रभावशाली ढंग से करते आए हैं।
फूलों की मादकता,सुगंधित हवा,कोकिला का मधुर गान, खेत-खलिहानों का खिला रूप और प्राणियों में नवल ऊर्जा व उत्साह का संचार----क्या -क्या देखने को नहीं मिलता फागुन के इस मोहक महीने मे।
आज मन और चिंतन ने यही चित्र हिंदी काव्य की  लोकप्रिय विधा कुंडली के माध्यम से उकेरा है  जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूँ--

कुंडलिया : फागुन
       ----ओंकार सिंह विवेक
🌷
फागुन आते  ही  खिले,खेत और  खलिहान,
हवा  सुगंधित  हो   गई, महक  उठे  उद्यान।
महक   उठे   उद्यान, कोकिला   राग  सुनाए,
लख-लखकर यह दृश्य,सभी के मन हरषाए।
गाएँ  हम भी फाग ,लगी  है केवल यह   धुन,
आया  जबसे  द्वार, सखे   मदमाता  फागुन।
🌷
          ---ओंकार सिंह विवेक
             सर्वाधिकार सुरक्षित
चित्र---गूगल से साभार







No comments:

Post a Comment

Featured Post

आज फिर एक नई ग़ज़ल

 एक बार फिर कोलकता के सम्मानित अख़बार/पत्रिका "सदीनामा", ख़ास तौर से शाइर आदरणीय ओमप्रकाश नूर साहब, का बेहद शुक्रिया। सदीनामा निरं...