December 30, 2021

सर्दी के नाम

अक्सर लोग कहते हैं कि आदमी को चैन कहाँ है? गर्मी में बहुत गर्मी की ,बरसात में बहुत बारिश की और सर्दी में  कड़क ठंड की शिकायत करता ही रहता है।अरे भाई! सर्दी में अगर सर्दी और गर्मी में अगर गर्मी न होगी तो फिर क्या होगा।बात ठीक भी लगती है कि भिन्न-भिन्न ऋतुओं के अपने भिन्न-भिन्न प्रभाव तो होंगे ही,इसमें शिकायत जैसी क्या बात है।लेकिन इस सत्य और दार्शनिकता से थोड़ा हटकर सोचने की भी ज़रूरत है।आदमी को बातचीत,मनोरंजन ,मस्ती और चुहलबाज़ी का भी तो कोई बहाना चाहिए कि नहीं।जीवन को ऊर्जावान और सक्रिय बनाए रखने के लिए ये सब भी तो ज़रूरी है।सोचिए चिलचिलाती धूप में
जब कोई पसीने से तरबतर होकर अपने दोस्तों से इस बात की शिकायत करता है कि भाई आज तो हद ही हो गई सूरज तो जैसे
भट्टी में झोंकने पर ही आमादा है तो बाक़ी लोग भी उसके डायलॉग से सहमत होते हैं,कसमसाते हैं,मुस्कुराते हैं और फिर बात से बात निकलकर परेशानी के आलम में भी हँसने-मुस्कुराने का बहाना खोज लेते हैं।ऐसा करना माहौल को हल्का-फुल्का रखने के लिए ज़रूरी भी होता है।यदि गर्मी की शिकायत करने वाले साथी को दार्शनिक अंदाज़ में यह कहते हुए टोक दिया जाए कि भाई तुम यह क्या शिकायत लेकर बैठ गए गर्मी में तो ऐसा ही होता है तो संवाद ही टूट जाएगा और मौज-मस्ती तथा मनोरंजन का जो मौक़ा बना है वह भी हाथ से जाता रहेगा।
अतः हर चीज़ को धीर-गंभीर होकर दार्शनिकता के चश्मे से न देखा जाए और शिकवे-शिकायतों और चुहलबाज़ी तथा गप्पबाज़ी
का भी कभी-कभी आनंद लिया जाए।
 मैं भी के आज के मौसम से शिकायत करते हुए अपने इस दोहे के साथ वाणी को विराम देता हूँ, नमस्कार🙏🙏

चित्र--गूगल से साभार



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