October 8, 2020

क्या करें वक़्त ही नहीं मिलता

क्या करें वक़्त ही नहीं मिलता
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                     ----ओंकार सिंह विवेक
मैंने इंटरमीडिएट तो कर रखा है।इधर काफ़ी दिनों  से प्राइवेट बी0 ए0 करने की सोच रहा हूँ परंतु पढ़ाई का समय ही नहीं मिलता। मेरा वज़्न लगातार बढ़ रहा है जिससे कुछ शारीरिक परेशानियाँ भी बढ़ रही हैं।कब से जिम ज्वाइन करने की सोच रहा हूँ पर समय ही नहीं निकाल पा रहा हूँ।मुझे बचपन से ही गायन और वादन में रुचि रही है ।पढ़ाई के दबाव के कारण विद्यार्थी जीवन में तो अपने इस शौक़ को मैं परवान न चढ़ा सकी।सोचा था बाद में ज़रूर मैं गायन और वादन को मनोयोग से सीखकर अपने शौक़ को पूरा करूँगी लेकिन अब शादी के बाद तो घर-गृहस्थी और बच्चों की देखभाल में ही सारा समय निकल जाता है।अपनी रुचि को पूरा करने का बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता।
किसी काम को न करने या न सीखने के पीछे ऐसे  ही तमाम अव्यवहारिक कारण लोग अक्सर ही गिनाते मिल जाएँगे।
दुनिया में हर व्यक्ति को अपने क्रिया-कलापों को करने के लिए चौबीस घंटे का समय ही उपलब्ध है।ऐसा बिल्कुल नहीं है कि संसार में जिन व्यक्तियों ने साधारण से हटकर कुछ  किया है उनके पास रात और दिन को मिलाकर चौबीस घंटे से अधिक समय रहा है।उन्होंने चौबीस घंटों में से ही सारे दैनिक क्रिया-कलापों को करने के बाद कुछ असाधारण करने के लिए भी समय निकाला है।अतः यह बात तो यहीं ग़लत साबित हो जाती है कि क्या करें हमें तो कुछ अलग करने के लिए वक़्त ही नहीं मिलता।
हम असाधारण काम करने वाले लोगों के साक्षात्कार और जीवनियाँ पढ़कर उनके द्वारा कार्य निष्पादन हेतु किए गए समय प्रबंधन से बहुत कुछ सीख सकते हैं। दरअस्ल किसी विशेष उपलब्धि को हासिल करने या अपने शौक़ को पूरा करने के लिए कहीं से या किसी से समय मिलता नहीं है अपितु समय निकालना पड़ता है अर्थात समय का प्रबंधन (Management)करना पड़ता है।हम अपने  देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के बारे में अक्सर पढ़ते हैं कि वह सिर्फ़ चार घंटे ही सोते हैं।इस प्रकार हम देखते हैं कि वह अपने सोने के समय में से भी कई घंटे अन्य असाधारण कामों के लिए निकाल लेते हैं।यह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और अनुशासित जीवन शैली के कारण ही संभव हो पाता है।ऐसे ही अनेक महापुरुषों,खिलाड़ियों और वैज्ञानिकों आदि के उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं जिनसे प्रेरणा लेकर हम बेहतर टाइम मैनेजमेंट करके अपने जीवन को औरो से भिन्न बना सकते हैं।अगर हम समय का सही प्रबंधन करना सीख लें  तो कभी किसी से यह नहीं कहना पड़ेगा कि क्या करें हमें तो अमुक काम करने के लिए समय ही नहीं मिलता। 
प्रसंगवश मेरे कुछ शेर प्रस्तुत हैं----
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ज़िंदगी अपनी  बदलना सीखिए,
वक़्त के साँचे में ढलना सीखिए।

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क़द्र जितनी भी हो सके कीजे,
वक़्त गुज़रा तो फिर न आएगा।

💥💥💥💥💥💥💥💥💥
               ------ओंकार सिंह विवेक🙏🙏

6 comments:

  1. कमाल है भाई...।
    मेरी भी एक ग़ड़ल ऐसी ही थी जो आपको
    कुछ लाइनों की कापी करने की भी प्रेरणा दे गई...
    शुक्रवार, 21 अगस्त 2020
    ग़ज़ल "ठोकरें खाकर सँभलना सीखिए" ठोकरें खाकर सँभलना सीखिए

    --
    आदतें अपनी बदलना सीखिए
    जिन्दगी में साथ चलना सीखिए
    --
    कंकड़ों और पत्थरों की राह में
    ठोकरें खाकर सँभलना सीखिए
    --
    दुःख और सुख जिन्दगी के अंग हैं
    फूल के मानिन्द खिलना सीखिए
    --
    खूशनुमा फिर से बहारें आयेंगी
    साफगोई रखके मिलना सीखिए
    --
    प्यार का धागा-सूईं लेकर जरा
    चाके-दिल को आप सिलना सीखिए
    --
    दोजहाँ में लोग हैं जालिम बड़े
    अश्क को अपने निगलना सीखिए
    --
    चीरती है जो अँधेरा रात का
    उस शमा जैसा पिघलना सीखिए
    --
    गैर को अपना बनाने के लिए
    प्यार के साँचे में ढलना सीखिए
    --
    हर जगह हैं जाल फैले ‘रूप’ के
    काटकर फन्दे निकलना सीखिए

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  2. आदरणीय आपके कॉपी करने की प्रेरणा जैसे कमेंट से ह्रदय व्यथित हुआ।
    एक ही मफ़हूम पर किसी एक व्यक्ति का कॉपी राइट नहीं हो सकता।एक ही मफ़हूम को कई शायर/कवि अपने ढंग से रचना में बाँध सकते हैं।इन भावोँ को लेकर मेरे मुक्तक और ग़ज़ल अब से लगभग दस साल पहले संयुक्त संकलनों में छप चुके हैं।कवि और लेखकों के भाव टकराना कोई आज की बात नहीं है।एक ही भाव को अलग अलग रचनाकार अपने अपने ढंग से कहते रहे हैं।मैं सदैव अपनी कहन में विश्वास रखता हूँ,चरवा करने में नहीं।"सीखिए" और "चाहिए"बहुत पुरानी रदीफ़ हैं इनमें तमाम उस्ताद शायरों ने ग़ज़लें कही हैं।मेरा एक दस साल से भी ज़्यादा पहले कहा गया मुक्तक है--
    ज़िंदगी अपनी बदलना सीखिए,
    वक़्त के साँचे में ढलना सीखिए।
    कामयाबी की तमन्ना है अगर,
    ठोकरें खाकर सँभलना सीखिए।
    ----ओंकार सिंह विवेक

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१०-१०-२०२०) को 'सबके साथ विकास' (चर्चा अंक-३८५०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  4. आदरणीया अनीता सैनी जी आपका अतिशय आभार!!!

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  5. आदरणीय जोशी जी हार्दिक आभार

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