महत्व संवाद का
------ओंकार सिंह विवेक
लोग अक्सर ही कोई विशेष कारण न होते हुए भी किसी के प्रति अपनी एक पक्षीय धारणा बनाकर पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाते हैं।इस ग़लत फ़हमी के कारण वे अनावश्यक रूप से अपनी चिंता और परेशानी को बढ़ाकर तनावग्रस्त रहने लगते हैं।
मसलन अगर कोई कह दे कि अमुक व्यक्ति तुम्हारे बारे में कुछ नकारात्मक बातें कर रहा था तो यह सुनकर लोग आग बबूला हो जाते हैं और केवल सुनी- सुनाई बातों के आधार पर ही अमुक व्यक्ति के प्रति मन में एक काल्पनिक धारणा बना लेते हैं। उस समय लोग जाने क्यों यह ज़रूरी नहीं समझते कि उस व्यक्ति से भी सच्चाई को जानने के लिए संवाद किया जाए जिसके बारे में किसी दूसरे व्यक्ति ने अपने ही ढंग से कुछ बताया था।अक्सर देखा गया है कि दफ़्तर में किसी बात को लेकर लोग उच्च अधिकारियों से सीधे बात करने से बचते रहते हैं और लगातार अपने मानसिक तनाव को बढ़ाते रहते हैं।जबकि उच्च अधिकारियों से किसी समस्या को लेकर तुरन्त ही संवाद किया जाए तो बहुत मुमकिन है कि आसानी से समस्या का समाधान हो जाए।
वास्तव में आपसी संवाद का बहुत बड़ा महत्व है।संवाद करने में संकोच करने या संवाद के रास्ते बंद कर देने से समस्या और विकराल होती जाती है। संवाद जारी रखने या उसकी पहल करने से निश्चित ही समस्या का समाधान सम्भव है।
रखनी है मज़बूत यदि,रिश्तों की बुनियाद,
समय-समय पर कीजिए,आपस में संवाद।
---ओंकार सिंह विवेक
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteअत्यधिक आभार आदरणीय
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