हर किसी से प्यार कर
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-------ओंकार सिंह विवेक
यह कहना कितना अच्छा लगता है कि हमें हर किसी से प्यार करना चाहिए। पर क्या व्यवहार में सब लोग ऐसा कर पाते हैं ?उत्तर है शायद नहीं।कोई आदर्श बात बोल देना या उस पर वक्तव्य दे देना एक अलग बात है पर उसे स्वयं अमल में लाना दूसरी बात। यदि सभी लोग अपनी कथनी और करनी में एक समान हो जाएँ तो बहुत सी समस्याओं का हल हो जाए।
आज लोग अपने सीमित दायरों की सोच और स्वार्थ के चलते हर किसी से प्यार की बात कैसे कर सकते हैं। वे लोग विरले ही होते हैं जो अपना स्वार्थ त्याग कर दूसरों की ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी और असली ख़ुशी का आनंद मानते हैं। यह सही है कि अपनी और अपने घर -परिवार की ख़ुशी महत्वपूर्ण है पर जो व्यक्ति इससे ऊपर उठकर अपनी सोच को विस्तार दे पाते हैं और प्रकृति में विद्यमान हर चीज़ से स्नेह का भाव रखते हैं वे महान होते हैं।सोच को इस हद तक ऊँचा कर लेने से हमारे और हमारे घर -परिवार की ख़ुशी तो स्वतः ही इसमे निहित हो जाती है।प्रकृति द्वारा उत्पन्न की गई किसी भी चीज़ के प्रति मानव में घृणा का भाव नहीं होना चाहिए।प्रकृति में विद्यमान सभी चीजों को मर्यादा में रहते हुए अपने अस्तित्व को बचाए रखने का अधिकार है।मानव को सदैव पर सेवा,उपकार और हर किसी से प्यार करने की भावना को अपने अंदर विकसित करना चाहिए।
हम छल,कपट , द्वेष और घृणा से दूर रहकर यदि अपने मन में हर किसी से प्यार करने के भाव का विकास करें तो स्वयं के साथ ही संसार को भी सुंदर बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
हो सके जितना भी तुझ से उम्र भर उपकार कर,
बाँट कर दुख-दर्द बंदे हर किसी से प्यार कर।
#ओंकार सिंह 'विवेक'
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
ReplyDeleteआभार आदरणीय
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