पल्लव काव्य मंच रामपुर-उ0प्र0 का कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन
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पल्लव काव्य मंच,रामपुर(उ0प्र0) के तत्वावधान में मंच के व्हाट्सएप्प पटल पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों नेअपनी देश प्रेम,समाज और मानवीय सरोकारों से जुड़ी श्रेष्ठ रचनाओँ का सस्वर पाठ किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता गीतकार डॉ0 शिवशंकर यजुर्वेदी,बरेली जी द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि व विशिष्ठ अतिथि क्रमशः विपिन शर्मा जी,ब्यूरो चीफ हिंदुस्तान दैनिक ,रामपुर तथा डा0 मोनिका शर्मा,पशुचिकित्सा अधिकारी ,रामपुर रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ पल्लव काव्य मंच के संस्थापक रामपुर के वरिष्ठ कवि श्री शिव कुमार शर्मा चंदन की सस्वर सरस्वती वंदना के द्वारा हुआ--
ग्यान की जगावो ज्योति,अंतस विराजो आये,
भक्ति सुरसरि माहि , डूब डूब जाऊँ माँ।
लगन लगी है ऐसी,कान्हा संग खेलों जाए,
दीजे मन मीत गीत, छंदन को गाऊँ माँ।
गीतकार डॉ0 शिवशंकर यजुर्वेदी जी ,बरेली ने कारगिल के वीरों के सम्मान में अपने उदगार कुछ यों व्यक्त किए-
आपके त्याग और बलिदान का
युग-युगों तक ऋणी यह रहेगा वतन।
कारगिल युद्ध के वीर बलिदानियों,
आपको शत नमन आपको शत नमन।
कवि देशराज शर्मा उदार, धामपुर ने राम मंदिर के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए कहा--
श्रीराम मंदिर हमारे राष्ट्रीय गौरव मान का प्रतीक है,
श्रीराम मंदिर हमारे राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक हैं।
ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक,रामपुर ने जीवन में माँ की महत्ता बताते हुए माँ के सम्मान में अपना मुक्तक प्रस्तुत किया--
डगर का ज्ञान होता है अगर माँ साथ होती है,
सफ़र आसान होता है अगर माँ साथ होती है।
कभी मेरा जगत में बाल बाँका हो नहीं सकता,
सदा यह भान होता है अगर माँ साथ होती है।
कवियित्री नीलिमा पाँड़े, मुंबई ने अपने उदगार कुछ यों व्यक्त किए--
कोरे काग़ज़ पर पढूँ, अंतहीन संवाद,
मृग तृष्णा में नीलिमा,तन मन है आबाद।
ओज कवि श्री अरविंद वाजपेयी,कन्नौज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा--
काव्य वही जो राष्ट्र चेतना को नव स्वर दे,
काव्य वही जो राष्ट्र भक्ति ज्वर घर घर भर दे।
कवि आनंद मिश्र अधीर,बदायूँ ने सामयिक विषय राम मंदिर पर अपने उदगार कुछ यों व्यक्त किए--
हो रहा मंदिर का निर्माण,लो छप्पन इंची सीना तान,
विजय सत्य की हुई, झूठ पर हार गया है वान।
कवियित्री डॉ0 मोनिका शर्मा,मुरादाबाद ने अपनी प्रस्तुति दी--
हे माँ शारदे चरण रज मैं पाऊँ,
भाव शब्द सुमन तेरे चरणों में चढ़ाऊँ।
श्री विपिन शर्मा,रामपुर द्वारा माता एवं पिता के सम्मान में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति कुछ यों दी गई--
यकीं मानो तुम्हें मिल जाएँगी ख़ुशियाँ जहाँ भर की,
कभी माँ बाप की आँखों को नम होने नहीं देना।
इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में रचना पाठ करने वाले कवियों के अतिरिक्त अन्य कवियों और श्रोताओं ने भी सामयिक रचनाओं का रसास्वादन करते हुए कार्यक्रम के अंत तक रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन हरदोई के समर्थ कवि गोपाल ठहाका द्वारा किया गया। अंत में पल्लव काव्य मंच के संरक्षक वरिष्ठ कवि श्री शिवकुमार शर्मा चंदन जी द्वारा सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई।
------ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार,समीक्षक,कंटेंट राइटर व ब्लॉगर
Sundar karykram ki sabhi ko badhai
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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