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बहिना को कब चाहिए, दूूूजा कुछ उपहार।
वह तो हर पल चाहती, बस भाई का प्यार।।
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भाई-बहिनों की यही, है असली पहचान।
एक दूसरे पर सदा, छिड़कें अपनी जान।।
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-----------------ओंकार सिंह विवेक
बहिना को कब चाहिए, दूूूजा कुछ उपहार।
वह तो हर पल चाहती, बस भाई का प्यार।।
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भाई-बहिनों की यही, है असली पहचान।
एक दूसरे पर सदा, छिड़कें अपनी जान।।
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-----------------ओंकार सिंह विवेक
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