August 4, 2019

उलझन


कब सूझ रहा
जिसको सब सच बात पता है , क्यों औरों से बूझ रहा,

जो  भरता  है  पेट सभी  का , क्यों रोटी को जूझ रहा।

ऐसे  और  न  जाने   कितने ,  उलझे  गूढ़  सवालों का,

सोच    रहा   हूँ   बैठे   बैठे ,   पर उत्तर कब सूझ रहा।
                            -------------ओंकार सिंह 'विवेक'

No comments:

Post a Comment

Featured Post

पल्लव काव्य मंच रामपुर का कवि सम्मेलन, पुस्तक विमोचन एवं साहित्यकार सम्मान समारोह

रामपुर की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था 'पल्लव काव्य मंच' द्वारा दिनांक 22-जून,2025 को माया देवी धर्मशाला रामपुर में मंच-संस...