May 28, 2019

मन की स्थिरता

चित्राधारित दोहे
भाग-दौड़ से जब हुई ,दिन प्रतिदिन हलकान,
गोरी तब करने  लगी,     गहन साधना-ध्यान।

करना  पड़ता  है  बहुत,पावनता  से  ध्यान,
चंचल  मन को बाँधना, कब  इतना आसान।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
----ओंकार सिंह विवेक

No comments:

Post a Comment

Featured Post

पुस्तक परिचय : गद्य पुस्तक 'उड़ती पतंग'

              गद्य पुस्तक : 'उड़ती पतंग'              कृतिकार : दीपक गोस्वामी 'चिराग़'               प्रकाशक : ड...