पुस्तक समीक्षा
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पुस्तक : 'अनोखा स्वप्नद्रष्टा गाँव का लड़का'
लेखक : दिनेश चंद्र शर्मा
प्रकाशक : ग्रामोदय महाविद्यालय एवं शोध संस्थान अमरपुर काशी जनपद मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
प्रकाशन वर्ष : 2024 मूल्य :450/ रुपए
पुस्तक परिचय प्रदाता : ओंकार सिंह विवेक
यह पुस्तक ग्रामोदय महाविद्यालय एवं शोध संस्थान अमरपुर काशी ज़िला मुरादाबाद के संस्थापक श्री मुकट सिंह जी की जीवन यात्रा एवं उसके साथ अमरपुर काशी गांव की विकास यात्रा पर आधारित है। इस पुस्तक के लेखक श्री दिनेश चंद्र शर्मा जी ने पुस्तक में उल्लेख किया है कि यह पुस्तक का प्रथम खंड है अर्थात भविष्य में इस पुस्तक का अगला खंड भी आने की संभावना है।
'अनोखा स्वप्न द्रष्टा गांव का लड़का' पुस्तक की भूमिका
डॉo सत्येंद्र कुमार सिंह, निदेशक वॉलंटरी इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिटी अप्लाइड साइंस-डेवलपमेंट प्रयागराज ने लिखी है। पुस्तक का परिचय देने से पहले मैं आपको आदरणीय मुकट सिंह जी के बारे में थोड़ी सी जानकारी प्रदान कर दूं। इस पुस्तक में उपलब्ध जानकारी के अनुसार श्री मुकट सिंह जी ग्रामोदय संस्थान ग्राम अमरपुर काशी जनपद मुरादाबाद,उत्तर प्रदेश के संस्थापक हैं। आदर से सब लोग उन्हें बाबू जी कहकर पुकारते हैं। आपने 1959 में आगरा विश्वविद्यालय से एमएससी पास किया।उसके बाद लंदन यूनिवर्सिटी से 1969 में एमएससी स्टैटिसटिक्स किया तथा रॉयल स्टैटिसटिक्स सोसाइटी ऑफ लंदन के चयनित फैलो भी रहे। आपने भारत तथा इंग्लैंड में अनेक शिक्षण संस्थानों में अध्यापन कार्य किया है।
श्री मुकट सिंह जी वर्ष,1969 में अपनी माता जी की मृत्यु के पश्चात इंग्लैंड से अपने गांव लौट आए। तभी से उन्होंने गांव अमरपुर काशी में अमरपुर काशी ग्रामीण पॉलिटेक्निक की स्थापना करके ग्रामीण विकास संबंधी अपनी गतिविधियां आरम्भ कर दी थीं। एक दशक बाद जब संस्थान के सामने आर्थिक समस्याएं आईं तो वर्ष 1980 में पुनः इंग्लैंड गए, धनोपार्जन किया और वर्ष 1984 में फिर से इंग्लैंड की नौकरी छोड़कर गांव आ गए।
मुझे श्री मुकट सिंह जी का परिचय देते हुए मजरूह सुल्तानपुरी साहब का यह शेर याद आ रहा है:
मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
ग्रामीण विकास के सपने को साकार करने वाले जीवट के धनी मुकट सिंह जी की जीवन यात्रा को पढ़कर मैं नि:संदेह यह कह सकता हूं की मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने यह शेर ऐसे व्यक्तियों के लिए ही कहा होगा। बाबू जी ने अकेले ही ग्रामीण विकास के लिए कुछ अलग करने का बीड़ा उठाया था और धीरे-धीरे उनके साथ उनकी विकास यात्रा में तमाम लोग जुड़ते चले गए जिसके परिणामस्वरुप मुरादाबाद जनपद का अमरपुर काशी गांव आज राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखता है।श्री मुकट सिंह जी की मातृभाषा हिंदी है लेकिन वे धारा प्रवाह उर्दू भी बोल सकते हैं। आपने इंग्लैंड में भी शिक्षा ग्रहण की है अतः अंग्रेजी में भी धारा प्रवाह बोलने में आपका कोई सानी नहीं है। इन भाषाओं के अतिरिक्त बाबू जी गुजराती, पंजाबी एवं बंगाली भी भली भांति समझ लेते है। मुकट सिंह जी 91 वर्ष की आयु में आज भी अपने द्वारा स्थापित की गई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं तथा अपने पैतृक गांव अमरपुर काशी में सक्रिय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
इतना शोध एवं इतनी सूचनाओं का संकलन करने के बाद श्री मुकट सिंह जी एवं अमरपुर काशी की विकास यात्रा पर 'अनोखा स्वप्न द्रष्टा गांव का लड़का' जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक लिखने वाले श्री दिनेश चंद शर्मा जी के बारे में कुछ न कहा जाए तो इस पुस्तक का परिचय देना अधूरा ही कहा जाएगा।
श्री दिनेश चंद शर्मा तत्कालीन प्रथमा बैंक से अवकाश प्राप्त प्रबंधक हैं। मैंने भी इसी बैंक से अवकाश ग्रहण किया है अतः शर्मा जी से मेरा निकट संबंध रहा है। मैं उन्हें एक बैंकर के रूप में जानने के साथ- साथ उनके Extra curricular Talent से भी अच्छी तरह परिचित हूं। दिनेश चंद्र शर्मा जी सृजनात्मक लेखन में रुचि के कारण अनेक पत्र पत्रिकाओं से भी जुड़ाव रखते हैं। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस से नैशनल लेवल तक जुड़ाव रहा है। आप राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस तथा अन्य संस्थाओं/संगठनों द्वारा अनेक सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। दिनेश चंद्र शर्मा जी की काव्य तथा योग आदि पर कई पुस्तकें आ चुकी हैं। आपने प्रस्तुत पुस्तक में 'अपनी बात' शीर्षक से अपनी बात रखते हुए बताया है कि वह ग्रामीण स्तर पर पिछड़ेपन और सुविधाओं की न्यूनता आदि को लेकर विद्यार्थी जीवन से ही चिंतित रहे हैं।अतः श्री मुकट सिंह जी के मिशन और विज़न से बहुत प्रभावित हैं।इसी प्रभाव और प्रेरणा ने उन्हें श्री मुकट सिंह जी के जीवन पर यह किताब लिखने के लिए प्रेरित किया।
मुझे श्री दिनेश चंद शर्मा जी की प्रतिभा, लगन और समर्पण को देखते हुए नफ़स अम्बालवी साहब का यह शेर याद आ रहा है:
उसे ग़ुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है,
मुझे यकीं है कि यह आसमान कुछ कम है।
आईए अब इस महत्वपूर्ण और एक दस्तावेज़ी किताब के, जिसका शीर्षक है 'अनोखा स्वप्न द्रष्टा गांव का लड़का' कुछ पन्ने पलटते हैं। यह पुस्तक कुल पांच अध्यायों में विभक्त है।
पहले अध्याय में श्री मुकट सिंह जी का बाल्यकाल, शिक्षा- दीक्षा तथा अमरपुर काशी गांव की तत्कालीन दशा के बारे में विस्तार से बताया गया है।
दूसरे अध्याय में मुकट सिंह जी के देश में शिक्षण कार्य एवं सामाजिक कार्य करके प्राप्त किए गए उपयोगी अनुभवों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
तीसरे अध्याय में श्री मुकट सिंह जी के इंग्लैंड में जाकर शिक्षा प्राप्त करने तथा विकास के क्षेत्र में उनके गहन अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त करने के बारे में चर्चा की गई है।उस दौरान जो आर्थिक अभाव बाबू जी ने झेले उनका मार्मिक चित्रण इस अध्याय में मिलता है। विपरीत परिस्थितियों में कैसे श्री मुकट सिंह जी के मित्र श्री सुरेश अत्री जी ने उनकी मदद की, वह प्रसंग पढ़कर हृदय द्रवित हो जाता है। उस घटना को पढ़कर हमारे इस विश्वास को भी बल मिलता है कि यदि व्यक्ति में दृढ़ इच्छा शक्ति और कुछ कर गुज़रने की ललक हो तो रास्ते निकलते चले जाते हैं।
अध्याय 4 में बताया गया है की मुकट सिंह जी द्वारा इंग्लैंड से लौटकर कैसे अपने छोटे से पिछड़े गांव में शिक्षा और विकास की ज्योति जलाई गई।
अमरपुर काशी गांव में बाबू जी के द्वारा किए गए विकास कार्यों पर ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन द्वारा बनाई गई फिल्म के बारे में भी इस अध्याय में चर्चा की गई है।
प्रथमा बैंक के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए आयोजित किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी भी इसी अध्याय में दी गई है।
अध्याय 4 में ही श्री मुकट सिंह जी के मिशन में सहयोगी रहे उनके साथियों श्री रोहतास सिंह रघुवंशी, उपाध्यक्ष वॉलंटरी इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिटी अप्लाइड साइंसेज - डेवलपमेंट प्रयागराज तथा श्री इंदल सिंह भदोरिया, रिटायर्ड उपनिदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश के बारे में बताया गया है। ये दोनों श्री मुकट सिंह जी के ग्रामीण विकास के मिशन को मूर्त रूप देने में क़दम- क़दम पर उनके साथ रहे। यह हम सबको प्रेरणा देने वाली बात है।
अध्याय 5 में बताया गया है कि श्री मुकट सिंह जी ने अपने मिशन के मार्ग में आने वाली बाधाओं को पार करते हुए कैसे अमरपुर काशी गांव को एक आदर्श गांव बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। अपने विकास कार्यक्रमों को गति देते हुए कैसे मुकुट सिंह जी ने अनेक देशों की यात्राएं की।
इसी अध्याय में हमें मुकट सिंह जी के निर्देशन में ग्राम अमरपुर काशी में समय-समय पर आयोजित हुई अनेक राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों, सेमिनारों तथा कार्यशालाओं के बारे में भी जानकारी मिलती है जो अमरपुर काशी गांव के विकास में मील का पत्थर साबित हुईं।
श्री मुकट सिंह जी की जीवन यात्रा तथा अमरपुर काशी गांव की विकास यात्रा में यदि उनकी पत्नी श्रीमती ज्योति सिंह के योगदान की चर्चा न की जाए तो बात अधूरी ही रहेगी।
लेखक ने बाबू जी की ऑस्ट्रेलिया में जन्मी पत्नी जिनका मूल नाम जीनियस ई मायर्स है तथा शादी के बाद जिनका नाम ज्योति सिंह हुआ, के बारे में भी पुस्तक में विस्तार से बताया है। उनका इंग्लैंड में कैसे श्री मुकट सिंह जी से संपर्क हुआ, वह कैसे उनके विचारों से प्रभावित होकर सारी सुख-सुविधा छोड़कर भारत के छोटे से पिछड़े गांव अमरपुर काशी में रहने के लिए चली आईं? इसका बड़ा ही हृदय द्रवित कर देने वाला विवरण पुस्तक में मिलता है।
पुस्तक के अंत के भाग में बताया गया है कि कैसे मुकट सिंह जी के अथक प्रयासों के चलते अमरपुर काशी गांव में शिक्षा और विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ, कैसे कई बार पर उन्हें कुछ लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। उस दौरान उन्हें कोर्ट- कचहरी के भी चक्कर लगाने पड़े।पुस्तक में दिनेश चंद्र शर्मा जी ने श्री मुकट सिंह जी के व्यक्तित्व और दृढ़ संकल्प को उकेरती हुई अपनी कविता के माध्यम से उनके प्रति अपना सम्मान भी प्रकट किया है।
पुस्तक के अंतिम भाग में ही संस्था से संबद्ध रहे विशेषज्ञों के ग्रामीण विकास और समस्याओं पर महत्वपूर्ण आलेख तथा समय-समय पर आयोजित की गई राष्ट्रीय /अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों के बारे में सचित्र जानकारी भी दी की गई है।
लेखक ने पुस्तक हेतु जहां-जहां से सूचनाएं,जानकारियां एकत्र की हैं उन सभी माध्यमों का संदर्भ भी अंत में दिया है जो पुस्तक तथा लेखक की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
पुस्तक को पढ़कर श्री मुकट सिंह जी की दृढ़ इच्छा शक्ति, समर्पण और संकल्प को देखकर मन उनके प्रति श्रद्धा से भर उठता है। अपनी सफलता के शिखर पर लंदन जैसे शहर से अच्छी भली नौकरी छोड़कर एक छोटे से अभावग्रस्त गांव अमरपुर काशी में उसके विकास के लिए कुछ कर गुज़रने का फैसला लेना कितना कठिन रहा होगा उस समय बाबू जी के लिए, यह बात हम सबके लिए बहुत प्रेरणादाई है। गांव के एक साधारण किसान परिवार का लड़का उस ज़माने में पढ़ने विलायत तक जाए और उसे फिर भी शहरी जीवन की शान- शौक़त तथा चमक-दमक से बिल्कुल मोह न हो,यह बात बहुत प्रभावित करती है। विलायत से आकर मुकट सिंह जी अमरपुर काशी गांव में अपने मिशन में ऐसे रमे कि अमरपुर काशी गांव की विकास यात्रा और बाबूजी की जीवन यात्रा एक दूसरे के पर्याय बन गए।
यह पुस्तक बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, जिसे सामान्य पढ़े-लिखे लोग भी आसानी से पढ़कर इससे प्रेरणा ले सकते हैं।पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में हैडिंग के माध्यम से छोटे-छोटे पैराग्राफ में बहुत सहज ढंग से सारगर्भित जानकारी प्रदान की गई है।पुस्तक में कंटेंट को इस तरह सिलसिलेवार प्रस्तुत किया गया है कि एक स्वाभाविक तारतम्य और प्रवाह अंत तक बना रहता है। जैसे-जैसे पुस्तक को पढ़ते हैं उसे आगे पढ़ने की उत्सुकता बढ़ती जाती है।
यदि किसी व्यक्ति ने किसी क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया हो तो उसके व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेकर हमने कितने ही लोगों को अपने जीवन को बदलते हुए देखा है। श्री मुकुट सिंह बाबू जी की जीवन यात्रा पर लिखी गई 'अनोखा स्वप्न द्रष्टा गांव का लड़का' एक ऐसी ही पुस्तक है जिसे पढ़कर और उससे प्रेरणा लेकर नई पीढ़ी अपने जीवन में सार्थक लक्ष्यों का निर्धारण करके विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सकती है। अतः मेरा अनुरोध है कि आप इस महत्वपूर्ण पुस्तक को मंगाकर अवश्य पढ़ें।
पुस्तक मंगवाने का पता:
Shri Mukat Singh
The Society for Agro Industrial Education in India
Village Amarpur Kashi
Tehsil Bilari
District Moradabad (Uttar Pradesh) India
इस बहुमूल्य पुस्तक के बारे में दी गई जानकारी आपको कैसी लगी हमारे ब्लॉग के कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराइए तथा ब्लॉग को फॉलो भी कीजिए।
हार्दिक धन्यवाद आभार नमस्कार🌹🌹🙏🙏
---- ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार /समीक्षक/ कंटेंट राइटर
अनोखा स्वप्नद्रष्टा गाँव का लड़का'🌹🌹👈👈