April 8, 2024

नव संवत्सर


मंगलमय नव वर्ष 🌹🌹🙏🙏 कुछ साथी ऐसा सुनकर चौंके भी होंगे यह सोचकर कि भाई नव वर्ष तो 1 जनवरी,2024 को अर्थात अब से लगभग सवा तीन माह पूर्व ही शुरू हो चुका है फिर यह -----  दरअस्ल ऐसा सोचने वालों की भी कोई ग़लती नहीं कही जा सकती क्योंकि पाश्चात्य प्रभाव/प्रचार के कारण केवल अंग्रेज़ी नव वर्ष को ही नए वर्ष के रूप में मनाने में अधिकांश भारतीयों की भी रुचि बढ़ रही है।जबकि लोग भारतीय सभ्यता और सनातन संस्कृति के प्रतीक नवसंवत्सर अर्थात नव वर्ष को भूल से गए हैं।आज आवश्यकता है कि हम सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना को जागृत करें और अपनी नई पीढ़ी को नवसंवत्सर यानी विक्रम संवत के बारे में जानकारी प्रदान करें।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। जब धरती से लेकर गगन तक उल्लास ही उल्लास हो,खेत-खलिहान अपनी समृद्धि पर इतरा रहे हों अर्थात प्रकृति अपने पूर्ण यौवन पर हो तब नव संवत्सर का शुभारंभ होता है।इस बार हिंदू नववर्ष अर्थात विक्रम संवत 2081, 09 अप्रैल 2024 से शुरू हो रहा है।
हमारा विक्रम संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे चलता है।यानी दुनिया में जब वर्ष 2024 चल रहा है तो हमारे सनातनी कैलेंडर में विक्रम संवत वर्ष 2081प्रारंभ हुआ है।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष आदरणीय ह्रदय नारायण दीक्षित जी के अनुसार --- 
" ऋग्वेद के 10 वें मंडल के अंतिम श्लोकों में बताया गया है कि अंधकार पूर्ण जल से संवत्सर का उदय हुआ।संवत्सर यूरोप से आए न्यू ईयर जैसा कोई साधारण काल गणना का परिणाम नहीं है।उनके महीनों पर ग़ौर नहीं किया।जैसे सितंबर शब्द लैटिन से बना है।इसका अर्थ है सातवां। ऐसे ही आक्ट (अक्टूबर) है आठवां और नवंबर है नवां। पहले अंग्रेज़ी में 10 महीने ही थे।बाद में दो और जोड़ दिए गए,इसलिए महीनों का क्रम बिगड़ गया यानी यह साधारण काल्पनिक गणना से बना।इसके विपरीत भारतीय काल गणना के मापन को आश्चर्यपूर्वक देखा गया।पलक झपकिए तो सबसे छोटा खंड है पल। उससे छोटा विपल।वैदिक साहित्य में ऐसे छोटे-छोटे कालखंड की गणना हुई है। उत्तर वैदिक काल में लिखे गए शतपथ ब्राह्मण में भारत की काल गणना विस्तार से दी गई है। इसके अतिरिक्त चारों युगों की वर्षानुवर्ष  गणना की गई है।हम नव संवत्सर को अंतरराष्ट्रीय नव वर्ष बनाएं।"
       ---- आदरणीय ह्रदय नारायण दीक्षित जी
              (दैनिक जागरण 7अप्रैल,2024)
अत: इस पावन अवसर को पूरे उत्साह से मनाएं और दूसरों को भी हिन्दू नव वर्ष की महत्ता बताते हुए इसे मनाने के लिए प्रेरित करें।हमारी कोशिश हो कि हम नवसंवत्सर को केवल भारत के नव वर्ष के रूप में ही न मनाएं अपितु जैसा कि श्री ह्रदय नारायण दीक्षित जी ने कहा है, हम इसे सृष्टि के सृजन का उत्सव मानते हुए अंतरराष्ट्रीय नव वर्ष बनाने की दिशा में अग्रसर हों।
काफ़ी समय पहले कही गई अपनी ग़ज़ल के एक शे'र के साथ वाणी को विराम देता हूं :
            सुगम होंगी सबके ही जीवन की राहें,
             न भारी किसी पर नया साल होगा।
                  ©️ ओंकार सिंह विवेक a
भारतीय नव-संवत्सर २०८१ बारंबार मंगलमय हो!!!
इति 🙏🙏
--- ओंकार सिंह विवेक 



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