November 12, 2022

नगर से गाँव ही अपना भला है

मित्रो शुभ प्रभात 🌹🌹🙏🙏
मेरी नीचे दी गई ताज़ा ग़ज़ल के बहाने आपसे फिर  ज्ञानवर्धक बातचीत करने का अवसर प्राप्त हुआ।
कल एक प्रतिष्ठित ग़ज़ल समूह में यह ग़ज़ल पोस्ट की थी। वैसे तो इस पर बहुत उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं किंतु एक बंधु ने ग़ज़ल के मतले में प्रयोग किए गए शब्द ताज़ा को लेकर कुछ यों भी टिप्पणी की :
"हवा स्त्रीलिंग होती है.... यहाँ जल साफ़ है, ताज़ी हवा है"
होना चाहिए।
मैंने अपनी अल्प जानकारी के अनुसार उन्हें विनम्रता पूर्वक यह उत्तर प्रेषित किया :
"मान्यवर मेरी नज़र में मैंने ठीक प्रयोग किया है।ताज़ा फ़ारसी भाषा का शब्द है और इसे इसी वर्तनी में प्रयुक्त किया जाना उचित है।"
जैसे --
आज की ताज़ा ख़बर लिखा जाता है
 ताज़ी ख़बर नहीं

यादें ताज़ा हो गईं लिखा जाता है
यादें ताज़ी हो गईं नहीं

एक शेर भी देखिए :
साँस लेने के लिए ताज़ा हवा भेजी है,
ज़िंदगी के लिए मासूम दुआ भेजी है।
हामिद सरोश
🙏🙏

एक अन्य शायर श्री गोविंद गुलशन जी ने भी इस बारे में उन्हें यह टिप्पणी प्रेषित की :
"अस्ल शब्द ताज़ा ही है"
सुबह का वक़्त है ताज़ा हवा है, 
चलो बाहर चलें कमरों में क्या है (डॉ. कुँअर बेचैन )

यह सब आप लोगों से साझा करने का उद्देश्य सिर्फ़ इतना ही है कि हमें आपस में जानकारी साझा करते रहना चाहिए क्योंकि ज्ञान बांटने से बढ़ता ही है घटता नहीं।

सादर 
 --- ओंकार सिंह विवेक
 (ग़ज़लकार,समीक्षक, कंटेंट राइटर,ब्लॉगर)
सभी अधिकार सुरक्षित 

8 comments:

  1. वाह ! बहुत उम्दा ग़ज़ल, 'ताज़ा' के सही प्रयोग की जानकारी के साथ-साथ और भी शेर पढ़ने को मिल गए।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 नवंबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत खूबसूरत

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