June 23, 2022

द्रौपदी मुर्मू


       द्रौपदी मुर्मू
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देश में 15 वें राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां शुरू हो चुकी हैं।होना तो यह चाहिए था कि इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर सर्वसम्मति से कोई योग्य व्यक्ति चुन लिया जाता लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा न हो सका।
संयुक्त विपक्ष ने अपना उम्मीदवार श्री यशवंत सिन्हा को बनाया है जो पूर्व में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अनुभवी अधिकारी रहने के  बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं।भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने अपने उम्मीदवार के तौर पर आदरणीया द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। संघर्षशील और जुझारू महिला आदरणीया द्रौपदी मुर्मू मैडम जी के नाम से लोकप्रिय हैं।ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू यानी मैडम जी की भगवान शिव में गहरी आस्था है।मैडम जी प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय मिशन से जुड़ी जनजातीय समाज से पहली महिला हैं जो देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद हेतु राजग प्रत्याशी बनाई गई हैं।यह भारत के जनजातीय समुदाय और महिला वर्ग के लिए गौरव की बात है।यह भारत का महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की कड़ी में एक और बड़ा कदम है। आदरणीया द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य की राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
चित्र : गूगल से साभार 
यदि आदरणीया द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति बनती हैं तो वह अनुसूचित जनजाति से आने वाली देश की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी।श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके जीवन संघर्ष को जानकर हर कोई प्रेरणा ले सकता है।ओडिशा के मयूरभंज जनपद से आने वाली द्रौपदी मुर्मू द्वारा विधायक और फिर राज्यपाल जैसे उच्च पद को सुशोभित करने के पीछे उनके संघर्षों की एक लंबी कहानी है। मां-बाप के लिए इससे बड़ा दुःख कोई नहीं होता कि उनके रहते उनकी प्रिय संतान की मृत्यु हो जाए।द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में ऐसी ही असहाय पीड़ा झेली है।उनके दो पुत्र कुछ समय के अंतराल पर ही  गोलोकवासी हो गए।उस दौरान जिस पीड़ा का दंश उन्होंने झेला होगा उसे हम भलिभांति महसूस कर सकते हैं।उस दौरान वह मानसिक अवसाद तक की स्थिति में पहुंच गईं थीं।उन पर टूटा यह वज्रपात यहीं नहीं रुका।कुछ समय बाद ही उनके पति भी असमय उनका साथ छोड़कर देवलोक को गमन कर गए।इन विपरीत पारिवारिक परिस्थितियों से उबरकर फिर से सामान्य होकर देश-सेवा का जज़्बा लेकर सार्वजनिक जीवन में द्रौपदी मुर्मू जिस ऊर्जा और साहस से पुन:सक्रिय हुईं वह किसी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हो सकता है।
अक्सर राज्यपालों और राष्ट्रपति को लोग रबर स्टैंप कह देते हैं।द्रौपदी मुर्मू ने इस बात को कई अवसरों पर राज्यपाल के पद पर रहते हुए झूठा साबित किया।जब कुछ बिल उनके पास मंजूरी के लिए आए तो उन्होंने उनका अध्ययन करके उन पर यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था कि अभी इनमें सुधार की गुंजाइश है।इससे उनके ज्ञान,विद्वता और अपने अधिकारियों के प्रति जागरूकता का पता चलता है।सचमुच ऐसे प्रतिबद्ध और सिद्धांतवादी लोगों के ही उच्च पदों पर आसीन होने से देश और समाज का भला हो सकता है।
यदि आदरणीया द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनती हैं तो यह बड़े गौरव की बात होगी।क्योंकि मैडम जी के समान संघर्षों की ज्वाला में तपा और अपने संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक व्यक्ति ही इस सर्वोच्च पद के साथ न्याय कर सकता है।
उनसे नई आशाएं और अपेक्षाएं लेकर हम उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं।
अंत में अपने ही एक दोहे के माध्यम से मैं अपनी बात समाप्त करता हूं:
          दफ़्तर में  भी  धाक है, घर  में  भी है राज,
          नारी नर से कम नहीं, किसी बात में आज।
                        ओंकार सिंह विवेक 
          (सर्वाधिकार सुरक्षित)



15 comments:

  1. राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी सुश्री द्रोपदी मुर्मू जी के बारे में अच्छी जानकारी मिली । अच्छी पोस्ट ।

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  2. आपकी लिखी  रचना  शुकवार   24 जून  2022     को साझा की गई है ,पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।संगीता स्वरूप 

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    Replies
    1. जी शुक्रिया, हाज़िर रहूंगा 🙏🙏

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  3. दफ़्तर में भी धाक है, घर में भी है राज,
    नारी नर से कम नहीं, किसी बात मेंआज
    नया इतिहास रचने वाली महामहिम मुर्मू जी को
    सादर नमन

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  4. आदरणीया द्रोपदी मुर्मू जी के बारे में जानकारी प्रदान करता सारयुक्त लेख ।

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  5. एक अच्छी जानकारी परक पोस्ट अच्छा लगा उनको जानना

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  6. सुन्दर सारगर्भित जानकारी!💐💐💐

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    Replies
    1. हार्दिक आभार भाई जी

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  7. ज्ञानवर्धक लेख के लिए आभार।
    सादर।

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  8. बहुत ही ज्ञानवर्धक लाजवाब लेख ।

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