September 11, 2021

याद फिर उनकी दिलाने पे तुली है दुनिया

ग़ज़ल--ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710

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याद  फिर  उनकी  दिलाने  पे  तुली है दुनिया,
चैन  इस  दिल  का  मिटाने पे तुली है दुनिया।

चोर  को   शाह  बताने   पे   तुली   है  दुनिया,
अपना  मेयार   घटाने   पे   तुली   है   दुनिया।

चंद  सिक्कों   के  लिए  बेचके ईमान - धरम,
"रात - दिन पाप  कमाने  पे  तुली  है दुनिया।"

अपने  आमाल  पे  तो  ग़ौर  नहीं करती कुछ,
बस   मेरे   ऐब   गिनाने  पे  तुली   है  दुनिया।

ख़ास  मतभेद   नहीं   उसके  मेरे  बीच, मगर-
सांप  रस्सी   का   बनाने   पे  तुली  है  दुनिया।

क्यों यूँ नफ़रत की हवाओं की हिमायत करके,
प्यार   के   दीप   बुझाने   पे   तुली  है  दुनिया।
             ---©️ ओंकार सिंह विवेक


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