आज मुरादाबाद की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था "हस्ताक्षर" की ओर से विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक ऑनलाइन मुक्तक गोष्ठी का सफल आयोजन किया किया जिसमें मुझे भी सहभागिता का अवसर प्राप्त हुआ।गोष्ठी में मेरे द्वारा पढ़ी गई रचनाएँ:
आज कुछ चौपाईयाँ मौसम को लेकर
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-----ओंकार सिंह विवेक
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कुहरे ने चादर फैलाई,
सूर्य देव की शामत आई।
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कड़क ठंड ने आफ़त ढाई,
छोड़ें कैसे सखे रज़ाई,
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नाक बंद , जकड़ा है सीना,
हुआ कठिन सर्दी में जीना।
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---ओंकार सिंह विवेक
शीत ऋतु: दो मुक्तक
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----ओंकार सिंह विवेक
रामपुर-उ0प्र0
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जमा दिया नदियों का पानी,
किया हवा को भी तूफ़ानी,
पता नहीं कब तक सहनी है,
हमें शिशिर की यह मनमानी।
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और न अपना कोप बढ़ाओ हे सर्दी रानी,
तेवर में कुछ नरमी लाओ हे सर्दी रानी।
कुहरा भी फैलाओ लेकिन हफ़्तों-हफ़्तों तक,
सूरज को यों मत धमकाओ हे सर्दी रानी।
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----ओंकार सिंह विवेक
गोष्ठी में जिन साहित्य मनीषियों द्वारा काव्य पाठ करके कार्यक्रम को सफल बनाया गया उनके नाम इस प्रकार हैं:
श्रीमती निवेदिता सक्सेना जी
डॉ. रीता सिंह जी
डॉ. ममता सिंह जी
श्रीमती हेमा तिवारी भट्ट जी
श्री राजीव 'प्रखर' जी
डॉ. अर्चना गुप्ता जी
श्री मनोज 'मनु' जी
श्री ओंकार सिंह 'विवेक' जी
श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' जी
श्री शिशुपाल 'मधुकर' जी
डॉ. पूनम बंसल जी
श्री अशोक विश्नोई जी
श्री ज़मीर जिया साहब
डॉ0मक्खन मुरादाबादी जी
डॉ0मनोज रस्तोगी जी एवं
डॉ. अजय 'अनुपम' जी ।
संस्था के पदाधिकारियों आदरणीय योगेंद्र वर्मा व्योम जी एवं प्रिय राजीव प्रखर जी को हार्दिक बधाई तथा संस्था की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना🙏🙏
----ओंकार सिंह विवेक
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