रौशनी फूटेगी इस अँधियार से
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------ ओंकार सिंह विवेक
"यह काम बहुत मुश्किल है,मैं इसमें सफल नहीं हो सकता।"
"मैंने प्रयास करके देख लिया ।इस काम में मुझे आगे भी असफलता ही हाथ लगेगी।"
"भाई क्या किया जाए हमारे मुक़द्दर में तो कामयाबी लिखी ही नहीं है। आख़िर कब तक कोशिश जारी रखें।"
लोगों के इस तरह के नकारात्मक कथन हम अक्सर ही सुनते हैं।एक बार को तो ऐसी निराशावादी सोच अच्छे -अच्छों के विश्वास को हिला देती है।जो लोग उत्साह के साथ किसी काम को करने की तैयारी में होते हैं वे भी दूसरों के मुँह से ऐसी निराशावादी बातें सुनकर हौसला खोने लगते हैं।लेख के प्रारम्भ में मैंने जिन कथनों का उल्लेख किया है ,ऐसे विचार कदापि किसी के मन में नहीं आने चाहिए।यह काम बहुत मुश्किल है ,यह मैं नहीं कर सकता आदि आदि----ऐसी भावना मन में रखकर कभी काम शुरू नहीं करना चाहिए।चाहे काम कितना भी मुश्किल क्यों न हो पूरे उत्साह और अपनी शत-प्रतिशत सामर्थ्य के साथ आशावादी रहते हुए प्रारम्भ करना चाहिए।यदि सोच सही होगी तो निश्चित ही सफलता की संभावना अधिक रहेगी।यदि पूर्ण समर्पित प्रयास के बाद भी सफलता प्राप्त न हो तो भी घबराने या दिल छोटा करने जैसी बात मन में नहीं आनी चाहिए।संसार में ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं जब लोगों को लक्ष्य हासिल करने से पहले कई-कई बार असफलता का सामना करना पड़ा है तब कहीं जाकर सफलता हासिल हुई है।इस बीच ऐसे लोगों ने संघर्ष और प्रयास करने नहीं छोड़े वरन दूने उत्साह से फिर प्रयास करने के संकल्प लिए।घोर अँधेरों के बीच से ही रौशनी की किरण फूटती है अतः हमें विपत्ति या असफलता में कभी साहस नहीं छोड़ना चाहिए।सोना भी पहले लगातार आग पर तपता है तब कहीं जाकर उसमें चमक आती है ।संसार में जब हमने तमाम सफल लोगों की कहानियाँ पढ़ीं और सुनीं तो पाया कि उन्हें सफल होने से पहले सैकड़ों असफलताएँ और रिजेक्शन झेलने पड़े थे।लोगों ने उनसे यहाँ तक कह दिया था कि तुम्हारे अंदर ऐसी क्षमता है ही नहीं की इस काम को अंजाम दे सको।मगर उन सफल लोगों ने बताया कि ऐसी बातों ने उनके अंदर एक नया स्पार्क पैदा किया ।उन्होनें ऐसी बातों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और वे दूने उत्साह से प्रयास करने में जुटे जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला।
अतः किसी भी दशा में हमें अपना लक्ष्य पाने के प्रयास को कमज़ोर नहीं पड़ने देना चाहिए।
मैंने साहस और संघर्ष को बनाए रखने की बातें अपनी शायरी में अक्सर ही कहीं हैं अतः अपनी कुछ अलग-अलग ग़ज़लों के अशआर उदधृत करते हुए बात समाप्त करता हूँ--
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हो अगर साहस तो संकट हार जाते हैं सभी,
रुक नहीं पाते हैं कंकर तेज़ बहती धार में।
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चीर कर पत्थर का सीना बह रही जो शान से,
प्रेरणा ले उस नदी से संकटों को पार कर।
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रख ज़रा नाकामियों में हौसला,
रौशनी फूटेगी इस अँधियार से।
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----दोस्तो आज इतना ही ,मिलते हैं कल फिर किसी विषय पर सार्थक चर्चा के लिए🙏🙏
----ओंकार सिंह विवेक
Very inspiring
ReplyDeleteThanks
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