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साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' मुरादाबाद की ऑनलाइन पावस(वर्षा ऋतु)-गोष्ठी
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२२ जुलाई,2020 को 'हस्ताक्षर' संस्था द्वारा यशभारती सम्मान प्राप्त नवगीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी के ८१ वें जन्म दिवस पर पावस-गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया।
इस गोष्ठी में रचनाकारों द्वारा डॉ. माहेश्वर तिवारी को उनके ८१ वें जन्मदिन पर बधाई देते हुए विषय विशेष (वर्षा ऋतु )पर अपनी प्रभावशाली रचनाएँ प्रस्तुत कीं। गोष्ठी में निम्न रचनाकारों द्वारा सहभागिता की गई--
1.डॉ. माहेश्वर तिवारी
2.श्री शचींद्र भटनागर
3. डॉ.अजय 'अनुपम'
4. डॉ.मक्खन 'मुरादाबादी'
5.डॉ. मीना नक़वी
6.श्रीमती विशाखा तिवारी
7.डॉ0प्रेमवती उपाध्याय
8.श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
9. डॉ.मीना कौल
10..डॉ.मनोज रस्तोगी
11.श्री राजीव 'प्रखर'
12.डॉ.पूनम बंसल
13.आदरणीया सरिता लाल
14. शायर ज़िया ज़मीर
15.श्रीयुत श्रीकृष्ण शुक्ल
16.श्री मनोज 'मनु'
17.डॉ.अर्चना गुप्ता
18.ग़ज़लकार ओंकार सिंह 'विवेक' (रामपुर)
19.श्रीमती हेमा तिवारी भट्ट
20.श्रीमती मोनिका 'मासूम'
21.डॉ.ममता सिंह
22.आ0 निवेदिता सक्सैना
23.डॉ.रीता सिंह
कार्यक्रम में मेरे द्वारा पावस ऋतु पर प्रस्तुत कुछ दोहे निम्नवत हैं---
🌷दोहे--पावस ऋतु🌷
----ओंकार सिंह विवेक
🌷. @CR
पुरवाई के साथ में , आई जब बरसात।
फसलें मुस्कानें लगीं , हँसे पेड़ के पात।।
🌷
मेंढक टर- टर बोलते , भरे तलैया- कूप।
सबके मन को भा रहा,पावस का यह रूप।।
🌷
खेतों में जल देखकर , छोटे-बड़े किसान।
चर्चा यह करने लगे , चलो लगाएँ धान।।
🌷
फिर इतराएँ क्यों नहीं , पोखर-नदिया-ताल।
जब सावन ने कर दिया,इनको माला माल।।
🌷
अच्छे लगते हैं तभी , गीत और संगीत।
जब सावन में साथ हों , अपने मन के मीत।।
🌷
जब से है आकाश में,घिरी घटा घनघोर।
निर्धन देखे एकटक , टूटी छत की ओर।।
🌷
कभी कभी वर्षा धरे , रूप बहुत विकराल।
कोप दिखाकर बाढ़ का ,जीना करे मुहाल।।
🌷
-------//ओंकार सिंह विवेक
रामपुर-उ0प्र0
@CR
विशेष--गोष्ठी में सहभागिता का अवसर प्रदान करने हेतु संस्था के पदाधिकारियों प्रिय राजीव प्रखर एवं आदरणीय योगेंद्र वर्मा व्योम जी का अतिशय आभार
सुन्दर और सामयिक दोहे।
ReplyDeleteअतिशय आभार आदरणीय🙏🙏
DeleteBahut sundar
ReplyDeleteआभार आपका।
Deleteधन्यवाद
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