June 14, 2020

अगर माँ साथ होती है

साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ऑनलाइन मुक्तक-गोष्ठी
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मुरादाबाद, १३ जून। साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से  आज संस्था के व्हाट्सएप समूह पर एक ऑनलाइन मुक्तक-गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें  रचनाकारों ने मुक्तकों के माध्यम से अनेक सामाजिक,  राजनैतिक एवं मानवीय विषयों को अभिव्यक्त किया।  मुक्तक-गोष्ठी में माँ को समर्पित मेरा एक मुक्तक यहाँ प्रस्तुत है--
"डगर का  ज्ञान होता है अगर माँ साथ होती है,
 सफ़र  आसान होता है अगर माँ साथ होती है।
 कभी मेरा जगत में बाल बाँका हो नहीं सकता,
 सदा  यह भान  होता है अगर माँ साथ होती है।
                              -----ओंकार सिंह विवेक
 मुक्तक-गोष्ठी में सुप्रसिद्ध व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी, सुप्रसिद्ध शायरा डॉ. मीना नक़वी, कवि शिशुपाल 'मधुकर', शायर ज़िया ज़मीर, कवि राहुल शर्मा आदि लोकप्रिय रचनाकार भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे।
-------ओंकार सिंह विवेक
         रामपुर-उ0प्र0

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