June 8, 2020
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साहित्यिक सरगर्मियां
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🌹🌼🍀🌲☘️🏵️🌴🥀🌿🌺🌳💐🌼🌹🍀🌲☘️🏵️🌴🥀🌿🌺🌳💐🌼🌹🍀🌲☘️🏵️🌴🥀🌿🌺🌳💐🌼🌹🍀 ३० अक्टूबर,२०२३ को रात लगभग आठ बजे भाई प्रदीप पचौरी जी का ...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-06-2020) को "वक़्त बदलेगा" (चर्चा अंक-3728) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय।मैं विलंब से संज्ञान ले पाया इसका खेद है
Deleteबहुत सकारात्मक सोच-वक्त कभी एक-सा नहीं रहता.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसकारत्मक सोच वक्त और हालात हमेशा एक जैसे नहीं रहते हे
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका
Deleteबहुत सुंंदर लिखा विवेक जी ''बस्ती और जंगल'' का रिश्ता
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका
Deleteसुंदर उम्दा सार्थक सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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