August 18, 2019

ज़िन्दगी का सफ़र

ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
चढ़ गया  सबकी नज़र में,
बात है  कुछ उस बशर में।

सच   का हो  कैसे  गुज़ारा,
छल,कपट  के इस नगर में।

पाँव   के   छाले  न   देखो ,
आप  मंज़िल  की डगर में।

हमसफ़र  भी  है    ज़रुरी,
ज़िन्दगानी  के   सफ़र  में।

रौशनी  की  कौन  सुनता,
थे  सभी तम  के असर में।

है  कहाँ   कोई   मुकम्मल,
कुछ  कमी है हर बशर में।
---------ओंकार सिंह विवेक




No comments:

Post a Comment

Featured Post

आज फिर एक नई ग़ज़ल

 एक बार फिर कोलकता के सम्मानित अख़बार/पत्रिका "सदीनामा", ख़ास तौर से शाइर आदरणीय ओमप्रकाश नूर साहब, का बेहद शुक्रिया। सदीनामा निरं...